राजेश कुमावत, indireporter.com
कॉमन्स कंजर्वेशन और गवर्नेंस की नई राह अपनाएँगे, भारत के 20 से अधिक राज्य
दिल्ली, कॉमन्स के कंज़र्वेशन और गवर्नेंस के लिए 20 से अधिक राज्यों के 500 से अधिक प्रतिभागियों ने 27 से 29 अगस्त 2024 तक डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित कॉमन्स कन्वेनिंग में भाग लिया। इस सम्मेलन में कम्युनिटी लीडर, नीति निर्माता, शिक्षाविद, नागरिक समाज संगठनों, विभिन्न व्यवसाय और प्रौद्योगिकी के विशेषज्ञ व मीडिया सहित अनेक हितधारकों शामिल हुए। इसका उद्देश्य भारत में साझा संसाधनों के संरक्षण के नए रास्ते बनाना था।
20.5 करोड़ एकड़ क्षेत्र यानि भारत की लगभग एक चौथाई भूमि कॉमन्स के अंतर्गत आती है; इसमें सामुदायिक वनों, चारागाहों और विभिन्न जल निकाय (वाटर बॉडी) शामिल हैं।
35 करोड़ से अधिक गरीब ग्रामीणों की आजीविका कॉमन्स पर आधारित है। इस इकोसिस्टम सर्विस का औसत वार्षिक मूल्य 6.6 लाख करोड़ रुपये (USD 90.5 बिलियन) है। लेकिन इन प्राकृतिक संसाधनों का प्रति वर्ष 4% की दर से घटना चिंता का विषय है।
कॉमन्स सम्मेलन में प्रतिभागियों ने कॉमन्स के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। साथ ही उन्होंने कॉमन्स मैनेजमेंट को सेल्फ-गवर्नेंस, विकेंद्रीकरण और गांव-शहर के साथ जोड़ कर सामूहिक कार्रवाई के लिए प्रेरित किया।
जलवायु परिवर्तन और सामाजिक के अंदर बढ़ती हुई खाई। सम्मलेन में सबने एक मत से माना कि इकोसिस्टम को फिर से बनाने, सरल आजीविका और सामाजिक न्याय को स्थापित करने के लिए कॉमन्स एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म बन सकता है।
कुल आयोजित 37 क्यूरेटेड सत्रों में प्रतिभागियों ने खाद्य प्रणालियों, ग्रामीण आय, मीठे पानी के स्रोतों और जैव विविधता संरक्षण में कॉमन्स की महत्वपूर्ण भूमिका पर व्यापक चर्चा की। यह सम्मेलन ने संवाद और सहयोग के लिए एक अच्छा अवसर था।
उन्होंने अपने विचार साझा किये और भारत के कॉमन्स के लिए सिस्टम के अंदर आने वाली चुनौतियों का समाधान करने, प्रभावशाली तरीके से काम करने तथा स्केलेबल समाधानों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से पहल करने पर जोर दिया।
- सिस्टम-वाइड डायलॉग: सतत विकास लक्ष्यों के लिए 2030 एजेंडा को प्राप्त करने में कॉमन्स की भूमिका को बढ़ाना। यह इसलिए क्योंकि गरीबी कम करने, क्लाइमेट एक्शन तथा पार्टनरशिप जैसे लक्ष्यों और कॉमन्स के बीच प्रतिभागियों ने सीधा सम्बन्ध बताया।
- सेक्टरों में सहयोग: कॉमन्स किसी राजनीतिक और प्रशासनिक दायरे में नहीं बंधा है, इसलिए प्रभावी शासन और कम्युनिटी के नेतृत्व में कार्यों को आगे बढ़ाने के लिए सभी सेक्टरों को आपस में (क्रॉस-सेक्टरल) सहयोग करना चाहिए।
- संस्थाओं में मजबूती लाना
- : कॉमन्स के गवर्नेंस को बढ़ाने के लिए स्थानीय संस्थानों को मजबूत करने और कम्युनिटी, गवर्नमेंट और मार्केट के बीच समन्वय बनाना आवश्यक है।
- वीमेंस एजेंसी: महिलाओं को यहाँ ‘पारंपरिक जानकारियों की संरक्षक’ के रूप में देखा गया। महिलाओं के आने से भविष्य में उनकी सहभागिता और हिस्सेदारी बढ़ेगी और कॉमन्स के प्रबंधन में लैंगिक भेद-भाव भी खत्म होगा।
- क्लाइमेट अडॉप्टेशन और रेजीलिएन्स: कॉमन्स को रेजीलिएन्ट बनाना और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए कम्युनिटी द्वारा संचालित नई फाइनेंसिंग प्रणाली को प्रोत्साहित करना होगा
उल्लेखनीय है कि यह समर्पित गठबंधन कॉमन ग्राउंड, फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी, लैंडस्टैक, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS)-मुंबई, UNDP इंडिया और डिज़ाइन पार्टनर कोलैबोरेटिंग फॉर रेजिलिएंस (CoRe) आदि विभिन्न पार्टनर्स की साझेदारी में में बना है। इन सभी सह-आयोजकों ने इस सम्मलेन में सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भरपूर प्रोत्साहिन दिया, साथ ही कॉमन्स चैंपियन को सम्मानित कर उनका उत्साह बढ़ाया। कॉमन्स पर खुले संवाद के लिए यह एक अच्छा अवसर था।
कॉमन्स के संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों को बढ़ावा देना
तीन दिन तक चले इस आयोजन के समापन में प्रतिभागियों ने आपसी संपर्क बढ़ाने और अपने सहयोग जारी रखने का संकल्प लिया। यहाँ अलग-अलग सत्रों में प्रतिभागियों के बीच जो ऊर्जा और विचार सुनने-देखने को मिले, उसने कॉमन्स के साझा संसाधनों को बचाने के लिए सामूहिक रूप से चलने का रास्ता खोल दिया है।
जिनमें से प्रत्येक खास विशेषज्ञता और साझाकरण के सिद्धांतों के लिए एक साझा हौसला लाता है। हमारा लक्ष्य साथ मिलकर संवाद, सीखने और कार्रवाई के लिए एक जीवंत मंच बनाना है, जहाँ प्रतिभागी कॉमन्स के सामुदायिक प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए अभिनव दृष्टिकोण तलाश सकते हैं। इस आयोजन के मुख्य आयोजन भागीदार हैं: कॉमन ग्राउंड, फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी, लैंडस्टैक, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम और डिज़ाइन पार्टनर कोलैबोरेटिंग फॉर रेजिलिएंस।