योगेंद्र शर्मा, indireporter.com
रानी अहिल्याबाई के लिए प्रजा एवं न्याय प्रथम : भैया जी जोशी
रानी अहिल्याबाई को जनता पुण्यश्लोक, लोकमाता, देवी स्वरूप मानती थी।
जयपुर। पुण्यश्लोका रानी अहिल्याबाई होल्कर के त्रिशताब्दी जयंती वर्ष पर उनके जीवन पर आधारित नाटक ‘‘राष्ट्रसमर्था देवी अहिल्या की पुण्यगाथा’’ का मंचन बिड़ला सभागार में हुआ। रानी अहिल्या बाई होल्कर के जीवन, उनके शासनकाल, सामाजिक कार्यों और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को समाज के समक्ष प्रस्तुत करने की दृष्टि से मंचित नाटक को जीवंत प्रस्तुति नागपुर, महाराष्ट्र से आए 40 कलाकारों ने संजीव प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भैयाजी जोशी ने कहा पुण्यश्लोका, लोकमाता जिन्हें कहा गया, एक राज्य का कारोबार संभालने वाली व्यक्तित्व को देवी के रूप में माना गया, यह अपने इतिहास में एक मात्र व्यक्तित्व है वह देवी अहिल्याबाई है। उनके समग्र जीवन में पुण्य के अलावा कुछ भी नहीं है इसलिए पुण्यश्लोका है। उन्होंने कहा व्यक्तित्व के मापदण्डों पर जो – जो बिन्दु पाएगे सभी बिन्दुओं पर एक अलग प्रकार का व्यक्तित्व एक ही व्यक्ति के जीवन मेें समग्रता का दर्शन होता है वह देवी अहिल्याबाई के जीवन में है। जिन्होंने आचरण की शुद्धता, कर्तव्यों का पालन कठोरता से करने के प्रतिमान स्थापित किए। आज हमें उन्हें समझने की आवश्यकता है।
विश्वमांगल्य सभा एवं संस्कृति मंत्रालय, राजस्थान के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रसमर्था देवी अहिल्या की पुण्यगाथा नाटक मंचन कार्यक्रम में अतिथि राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, दिल्ली से सांसद मनोज तिवारी ने भी लोकमाता अहिल्या बाई होलकर का स्मरण कराते हुए कविता ‘‘जो दीप जलाया मॉ अहिल्या ने, उसके लो को बढाना होगा। उसी दिये से और दिया, मिलकर जलाना होगा ’’ के माध्यम से सभा में उपस्थित दर्शकों को प्रेरणा दी।
रानी अहिल्या बाई होल्कर के जीवन, उनके शासनकाल, सामाजिक कार्यों और आध्यात्मिक दृष्टिकोण को समाज के समक्ष प्रस्तुत करने की दृष्टि से लिखे नाटक की जीवंत प्रस्तुति नागपुर, महाराष्ट्र से आए 40 कलाकारों ने दी। नाटक की साजसज्जा इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले द्वारा की गई, जो बहुत ही आकर्षक रही