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स्कूली बच्चों पर मोबाइल फोन के उपयोग पर लगे प्रतिबंध
वर्तमान समय में मोबाइल फोन हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन चुका है, लेकिन इसके अत्यधिक उपयोग के परिणामस्वरूप कई नकारात्मक प्रभाव भी सामने आए हैं। विशेषकर छोटे बच्चों पर मोबाइल के बढ़ते प्रभाव ने उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
European देशों, जिनमें United Kingdom, Norway, Netherlands, और France शामिल हैं, ने 16 साल से छोटे बच्चों पर मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
मोबाइल प्रतिबंध बच्चों को डिजिटल दुनिया से थोड़ी दूरी बनाने और उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के उद्देश्य से किया गया है।
भारत में भी यह प्रतिबंध लागू होना चाहिए। इसके कई कारण हैं:
1. शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: मोबाइल फोन के अधिक उपयोग से बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ता है। लंबे समय तक स्क्रीन के सामने रहने से आंखों की समस्याएं, जैसे कि दृष्टि दोष, बढ़ रही हैं। इसके अलावा, बच्चों में मोटापा, गर्दन और पीठ की समस्याएं भी बढ़ रही हैं।
2. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: मोबाइल फोन के लगातार उपयोग से बच्चों में मानसिक तनाव, अवसाद, और चिंता के स्तर में वृद्धि हो रही है। सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेम्स के प्रभाव से बच्चे वास्तविक जीवन से कटने लगते हैं और उनका सामाजिक विकास प्रभावित होता है।
3. शैक्षिक प्रदर्शन पर प्रभाव: मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से बच्चों का ध्यान भटकता है, जिससे उनकी पढ़ाई पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वे पढ़ाई की जगह फोन पर समय बिताते हैं, जिससे उनके शैक्षिक प्रदर्शन में गिरावट आती है।
4. सामाजिक और नैतिक विकास: बच्चों का समय मोबाइल फोन पर व्यतीत करने से वे सामाजिक गतिविधियों और खेलकूद में भाग नहीं ले पाते हैं। इससे उनके सामाजिक, नैतिक एवं शारीरिक विकास में बाधा उत्पन्न होती है।
5. सुरक्षा के दृष्टिकोण से: बच्चों का इंटरनेट पर अत्यधिक समय बिताना उन्हें साइबर बुलिंग और. ऑनलाइन शोषण का शिकार बना सकता है।
- बच्चों में पारिवारिक मिलन कम, एवं समाज से दूरियां बढ़ाने के कारण गलत संगत से अपना जीवन एवं परिवार बर्बाद होता है
इसलिए, भारत में भी 16 साल से छोटे बच्चों पर मोबाइल फोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना एक सही कदम होगा। इससे बच्चों का समग्र विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा और वे एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जी सकेंगे।
सरकार, शिक्षण संस्थान और माता-पिता को मिलकर इस दिशा में कार्य करना चाहिए ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित और उज्जवल हो।
आयुष कुमार शर्मा
शिक्षण संस्था संचालक
स्वतंत्र लेखन के विचार