राजेश कुमावत, indireporter.com
“नव संवत्सर” चैत्र प्रतिपदा के अवसर पर मनाया जाएगा राजस्थान स्थापना दिवस सरकार ने की घोषणा
अंग्रेजी तिथि 30 मार्च को नहीं मनाया जाएगा राजस्थान स्थापना दिवस समारोह
जयपुर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजस्थान स्थापना दिवस मनाए जाने वाले दिन में बदलाव किया है, विधानसभा में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा- हर साल 30 मार्च को मनाया जाने वाला राजस्थान स्थापना दिवस समारोह, अब हिंदू नव संवत्सर के पहले दिन यानी चैत्र प्रतिपदा को राजस्थान स्थापना दिवस मनाया जाएगा।
राजस्थान स्थापना दिवस समारोह नव संवत्सर क्षेत्र प्रतिपदा के अवसर पर मनाने की लंबे समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस RSS इसकी मांग कर रहा है। इस घोषणा से राजस्थान सरकार ने हिंदुत्व की राजनीति का संदेश दिया है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने विधानसभा में घोषणा की कि अब राजस्थान दिवस 30 मार्च के बजाए सनातन संस्कृति के कैलेंडर के अनुरूप चैऋ माह की पहली तारीख को मनाया जाएगा। सनातन कैलेंडर का पहला माह चैत्र माह ही होता है। विक्रम संवत के गणित के अनुसार सनातन कैलेंडर का पहला दिन शुक्ल पक्ष में प्रथम दिन को माना जाता है। यह संयोग ही है कि इस बार विक्रम सवंत 2082 में चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की शुरुआत अंग्रेजी तारीख 30 मार्च से शुरू होगा।
सनातन संस्कृति के अनुरूप वाला प्रतिपदा वर्ष 30 मार्च से ही शुरू होना है। आजादी के बाद राजस्थान 30 मार्च 1949 को अस्तित्व में आया इसलिए प्रतिवर्ष राजस्थान का स्थापना दिवस 30 मार्च को ही मनाया जाता है। लेकिन 12 मार्च को मुख्यमंत्री शर्मा ने घोषणा की कि भविष्य में राजस्थान में सनातन संस्कृति के वार्षिक कैलेंडर के अनुरूप ही मनाया जाएगा। वर्ष 2026 में 20 अप्रैल को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की शुरुआत होगी
राजस्थान दिवस को सनातन संस्कृति के कैलेंडर के अनुरूप मनाने की मांग पहले भी होती रही है, लेकिन पूर्व की भाजपा सरकारों ने इस मांग को पूरा नहीं किया। भजनलाल शर्मा ने अपने कार्यकाल के दूसरे वर्ष में ही बरसों पुरानी मांग को पूरा कर दिया। राजस्थान दिवस सनातन संस्कृति के अनुरूप मनाने की घोषणा का स्वागत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी किया है। संघ प्रतिवर्ष प्रतिपदा पर्व को उत्साह के साथ मनाता है। अपनी सनातन संस्कृति के अनुरूप युवा पीढ़ी को जागरूक करने के लिए प्रतिपदा के दिन संघ के स्वयंसेवक विभिन्न चौराहों पर खड़े होकर लोगों का स्वागत करते हैं। तिलक लगाकर मिश्री और तुलसी से मुंह मीठा कराया जाता है। इस बार जब संघ 30 मार्च को नववर्ष का उत्सव मनाएगा तो उसकी उमंग राजस्थान में दोगुनी होगी।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने तो पिछले वर्ष ही विधानसभा की वार्षिक डायरी चैत्र माह में जारी की। डायरी का पहला पन्ना भी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के पहले दिन का था। भले ही इस पृष्ठ पर अंग्रेजी की तारीख 9 अप्रैल 2025 अंकित की गई हो, लेकिन सनातन कैलेंडर के अनुरूप तिथियां भी लिखी गई है। अब जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राजस्थान दिवस भी सनातनी कैलेंडर के अनुरूप मनाने की घोषणा की है तो देवनानी ने भी स्वागत किया है।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि विधानसभा की नई डायरी भी विक्रम संवत 2082 के चैत्र माह में 30 मार्च को जारी की जाएगी।
धर्म और संस्कृति में महत्व:
देश के ख्याति प्राप्त ज्योतिषाचार्य और पुष्कर स्थित जोगणिया धाम के उपासक भंवरलाल ने कहा कि सनातन संस्कृति संरचना प्रकृति और मौसम के अनुरूप की गई है, इसलिए सनातन संस्कृति वाली तिथियों का धार्मिक महत्व भी है। आदिकाल से माना जाता है कि समय समय पर मौसम में बदलाव होता है और इस बदलाव की शुरुआत चैत्र माह से होती है। इसी माह में सूर्य के चक्र में भी बदलाव होता है। प्रकृति में बदलाव होने के कारण ही सनातन संस्कृति वाले चैत्र माह को क्रिएशन का समय भी माना जाता है। सनातनी धर्म के माह के नाम भी मौसम के अनुरूप रखे गए है। चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन हमें ऋतुओं का एहसास कराते हैं।
मुख्यमंत्री ने राजस्थान दिवस को सनातन संस्कृति के अनुरूप मानने का जो फैसला किया है, उसे राजस्थान की खुशहाली पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। हम जब भी कोई कार्य शुभ दिन से शुरू करते है तो उसमें सफलता मिलती है। उन्होंने कहा कि इस बार जब राजस्थान दिवस चैत्र माह शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन मनाया जाएगा तो उसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलेंगे।